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सिक्किम में तीस्ता बाढ़: प्रकृतिक आपदा का चौंकाने वाला प्रकोप

सिक्किम में तीस्ता नदी में हाल ही में आई भारी बाढ़ ने चौंकाने वाले तरीके से राज्य का चेहरा बदल दिया। 3 अक्टूबर को जब बादल फटे, तीस्ता नदी में भारी पानी का प्रवाह हुआ, जिससे अब तक 21 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। इस घातक प्राकृतिक आपदा में सेना के 23 जवान भी लापता थे, जिनमें से 7 का पार्थिव शरीर मिल चुका है।

सिक्किम के मुख्य सचिव विजय भूषण के अनुसार, इस बाढ़ के प्रकोप से अभी 7 हजार लोग अलग-अलग इलाकों में फंसे हुए हैं। ये संख्या जब लाचेन और लाचुंग की गणना की जाती है, तो 3 हजार तक पहुंचती है।

विज्ञानिकों की अनुमान के अनुसार, नेपाल में हुए भूकंप के बाद सिक्किम की ल्होनक झील टूट गई थी। यह झील अब तक रही अपनी पूरी क्षमता को नहीं रोक सकी और जब बादल फटे तो इससे तीस्ता नदी में अच्छी खासी बाढ़ आ गई।

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में तीस्ता नदी के बाढ़ के पानी में से एक मोर्टार गोला फट गया जिससे दो लोगों की मौत हो गई। पुलिस मानती है कि यह मोर्टार शेल सेना का था जो बाढ़ के पानी के साथ बहकर आया था।

सिक्किम में चार जिलों – मंगन, गंगटोक, पाक्योंग और नामची – में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए लोग हैं। इस समय तक, तीस्ता नदी के पानी का स्तर गिर चुका है, लेकिन राज्य सरकार और केंद्रीय सरकार द्वारा भेजे गए टीमें अभी भी प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य कर रही हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी ने बताया कि उन्होंने हेलिकॉप्टर और ड्रोन्स का इस्तेमाल कर राहत कार्यों में मदद ली है। वे आशा करते हैं कि अगले कुछ दिनों में सभी लापता लोग पाए जाएंगे।

इस आपदा को देखते हुए, सिक्किम सरकार ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्याओं पर विचार करने का फैसला किया है। वे चाहते हैं कि इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं आने वाले समय में न हो।