Home » संविधान में शब्दों की गुमशुदगी: अधीर रंजन का आरोप
India

संविधान में शब्दों की गुमशुदगी: अधीर रंजन का आरोप

लोकसभा में हाल ही में अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के प्रमुख सांसद, ने एक गंभीर मुद्दा उठाया। उनके अनुसार, नई संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर वितरित संविधान की कॉपियों से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटा दिए गए हैं।

अधीर रंजन के अनुसार, ये शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए जोड़े गए थे। उन्होंने इस बदलाव पर चिंता जताई और इसे संविधान के प्रति अनादर और बदलाव की जानबूझकर की गई कोशिश माना। उन्होंने इस मुद्दे को संसद में उठाने की कोशिश की थी, लेकिन अब तक उन्हें इस पर चर्चा करने का मौका नहीं मिला।

विपक्षी दल कांग्रेस के इस आरोप का जवाब देते हुए, भाजपा सरकार के कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने स्पष्ट किया कि जब संविधान अस्तित्व में आया था, तब इन शब्दों की उपस्थिति नहीं थी। उनका तर्क था कि जो शब्द बाद में जोड़े गए थे, वह मूल संविधान में मौजूद नहीं थे।

इस मुद्दे पर हुई बहस के बीच, नई संसद में पहले ही दिन एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) को पेश किया गया, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% की आरक्षण की बात की गई है।

इस नए प्रस्ताव के अनुसार, लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। और यह आरक्षण केवल 15 साल के लिए होगा, जिसके बाद संसद इसे बढ़ा सकती है।

इस पूरे मुद्दे में यह स्पष्ट होता है कि संविधान, जो हमारे देश का मूल धर्मग्रंथ है, के साथ किसी भी प्रकार के परिवर्तन को बहुत सतर्कता से देखा जाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हर प्रकार का बदलाव जनता की भलाई के लिए ही हो और इसे संविधान की भावना के साथ संगत रखा जाए।