राजस्थान में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के शिक्षक और प्रिंसिपल पद के लिए आयोजित परीक्षा के परिणामों ने उद्घाटन किए कई अहम सवाल। जब अधिकांश शिक्षक प्राथमिक स्तर की अंग्रेजी परीक्षा में असफल होते हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से उनकी साख की चर्चा में ला देता है।
महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों के लिए हुई शिक्षक भर्ती परीक्षा में 60 प्रश्न थे, जिसमें पास होने के लिए केवल 12 अंक आवश्यक थे। फिर भी, 16,768 शिक्षक इस सीमा को भी नहीं पार कर पाए। प्रिंसिपल पद की परीक्षा में भी 42% से अधिक अभ्यर्थी असफल हुए। इसका परिणाम यह है कि अब राजस्थान में 10,000 से अधिक शिक्षक और प्रिंसिपल पद खाली हैं।
यह परीक्षा सिर्फ अंग्रेजी में निपुणता का मापन था, और उसमें पूछे गए प्रश्न टेंस, हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद, और सही वाक्य निर्माण से संबंधित थे। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का मुख्य उद्देश्य यह था कि शिक्षक दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को अंग्रेजी में कैसे पढ़ाएं।
शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक, अनिल कुमार व्यास, ने बताया कि प्रत्येक प्रश्न के आधे अंक के मानक के अनुसार, 60 प्रश्नों में से 40% अंक, अर्थात 12 अंक प्राप्त करना था।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस परीक्षा में असफल होने पर किसी भी शिक्षक पर कार्रवाई नहीं होगी। राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक, कानाराम, ने स्पष्ट किया कि परीक्षा का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की अंग्रेजी में निपुणता का मापन था, और यह नहीं कि वे शिक्षा में कितने योग्य हैं।
इस घटना का संदेश स्पष्ट है। जब शिक्षकों की अंग्रेजी में यथेष्ट निपुणता नहीं होती, तो इससे स्टूडेंट्स पर भी प्रभाव पड़ता है। इसलिए, शिक्षा प्रणाली में सुधार की अवश्यकता है, जिससे कि शिक्षक और प्रिंसिपल अधिक प्रोफेशनल और अंग्रेजी में योग्य हों।
Add Comment