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मणिपुर: प्रदर्शनकारियों के हमले और युवकों की गिरफ्तारी का संघर्ष

मणिपुर में विवाद और संघर्ष के नए प्रकरण के संकेत मिले जब 21 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन और अदालत पर हमला किया। ये प्रदर्शनकारी उन पांच युवकों की रिहाई मांग रहे थे, जिन्हें 16 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था।

भीड़ का संघर्ष इंफाल में कई स्थलों पर उत्कृष्ट था, जहां वे पुलिस स्टेशनों में घुसने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस और RAF ने आंसू गैस और अन्य उपायों का इस्तेमाल किया ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

प्रदर्शनकारियों की मुख्य आलोचना थी कि सरकार ने उन पांच युवकों को रिहा नहीं किया, जो अब तक गिरफ्तार है। इन युवकों को अत्याधुनिक हथियारों और पुलिस वर्दी पहनने का आरोप लगा है। यही नहीं, इनमें से कुछ पर UAPA के तहत आरोप लगाए गए हैं।

राज्य सरकार ने इस घातक परिस्थिति को देखते हुए इंफाल के दोनों जिलों में कर्फ्यू में ढील दी थी, जिसे बाद में फिर से लागू किया गया।

विवाद और हिंसा मणिपुर में नई नहीं है। 12 सितंबर को भी फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 8 सितंबर को भी समान प्रकार की घातक घटना घटी थी। मणिपुर में चल रहे विवाद और हिंसा की जड़ मैतेई और कुकी समुदायों के बीच आरक्षण पर है, जिसमें अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

इस पूरे घटनाक्रम में सरकार के प्रतिनिधि और प्रदर्शनकारियों के बीच संवाद की जरूरत है ताकि जल्दी से जल्दी यह संघर्ष समाप्त हो सके और जीवन में सामान्यता लौट सके। इस संघर्ष और विवाद को समाधान के लिए अधिक समय नहीं लेना चाहिए।