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राजस्थान आयुर्वेद भर्ती: जातीय विभाजन पर विवाद उत्पन्न


राजस्थान में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की 787 पदों पर भर्ती प्रक्रिया को लेकर तनातनी चल रही है। इस प्रक्रिया में आयुर्वेद विभाग ने मेरिट के आधार पर चयन किया, परंतु जनरल (अनरिजर्व) श्रेणी में चयन नहीं हो पाया, जिससे अन्य श्रेणीयों के प्रतिष्ठान में असंतोष उत्पन्न हुआ है।

मनीषा चौधरी, एक भर्ती परीक्षा की उम्मीदवार, ने इसे उजागर किया कि अधिक अंक प्राप्त करने वाली ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी की महिला उम्मीदवारों को जनरल श्रेणी में स्थान नहीं दिया गया। इससे इन श्रेणियों की सीटों पर प्रभाव पड़ा, जिससे ओबीसी और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को न्याय नहीं मिल पाया।

मनीषा ने जोर दिया कि विभाग की इस अवज्ञा के कारण रिजर्व श्रेणी के उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक विभाग नतीजों में सुधार नहीं करता, उम्मीदवार और उनके परिवार विरोध करेंगे।

आयुर्वेद विभाग ने अनरिजर्व श्रेणी में सिर्फ जनरल श्रेणी की महिलाओं का चयन किया, जिससे उच्चतम अंक प्राप्त करने वाली रिजर्व श्रेणी की महिलाएँ चयन सूची में नहीं आईं।

यही समस्या यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती में भी आई है, जिसके चलते विरोध प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं। इस मुद्दे पर, प्रशासन ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जब प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो वे उत्तर देने से बचे।

इस पूरे मामले में आयुर्वेद विभाग की लापरवाही और चयन प्रक्रिया में अव्यवस्था के कारण अधिकारियों की भर्ती में विवाद और असंतोष उत्पन्न हो गया है, जिसे शीघ्र हल किया जाना चाहिए।