पश्चिम विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में अचानक 13,346 नए वोटर्स की समावेशन की घटना ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। इस मुद्दे को उजागर करने वाले राजकुमार किराड़ू, एक प्रमुख कांग्रेस नेता, ने इस पर संदेह जताया कि यह नाम फर्जी हो सकते हैं। उनका आरोप है कि 30 से 70 वर्ष की उम्र के व्यक्तियों के नाम अचानक कैसे जुड़ सकते हैं?
जिला प्रशासन इस मामले की जांच में जुट गया है। कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने अपनी टीम को हर व्यक्ति की पहचान के सत्यापन के लिए निर्देशित किया। वे स्वयं भी मतदाता सूची की जांच के लिए प्रत्यक्ष निकल पड़े और मतदाताओं से मुलाकात की।
जयपुर में होने वाली निर्वाचन आयोग की बैठक में कलाल इस जांच रिपोर्ट को प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा, कांग्रेस के अन्य नेता भी इस मामले के संबंध में चिंतित हैं। किराड़ू ने यह भी बताया कि वह सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर नाम जोड़ने की प्रक्रिया को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर अभी कई प्रश्न बाकी हैं। क्या सभी जोड़े गए नाम वास्तविक हैं? कैसे सुनिश्चित हो कि कोई भी व्यक्ति छह महीने से अधिक समय तक एक ही स्थान पर रह रहा है? और इस समस्या का समाधान क्या हो सकता है? यह सभी प्रश्न अब निर्वाचन आयोग के समक्ष हैं, जो इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई कर सकता है।
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