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कावेरी जल विवाद: कर्नाटक-तमिलनाडु तनातनी से अर्थव्यवस्था पर प्रहार

कावेरी नदी का जल बंटवारा तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच एक पुराना विवाद है, जिससे संबंधित तनाव हाल में बढ़ा है। कर्नाटक में किसानों ने इस विवाद के खिलाफ बेंगलुरु में बंद की आह्वान किया, जिससे न केवल शिक्षा संस्थान और खुदरा संचालन प्रभावित हुए, बल्कि तमिलनाडु से आने वाली यातायात सेवाओं को भी रोका गया।

कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने हाल ही में आदेश जारी किया जिसमें कर्नाटक से तमिलनाडु को निर्दिष्ट समय के लिए ज्यादा पानी छोड़ने के लिए कहा गया। इसे लेकर कर्नाटक के विभिन्न समुदाय और विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया।

विवाद के मद्देनजर सुरक्षा उपाय भी बढ़ाये गए हैं। तमिलनाडु-कर्नाटक बॉर्डर पर पुलिस तैनात की गई है, और बेंगलुरु में धारा 144 लागू कर दी गई है, जिससे अधिक लोग सामूहिक रूप से इकट्ठा नहीं हो सकते।

सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई निरंतर हो रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वाटर अथॉरिटी को नियमित रूप से मीटिंग करने का निर्देश दिया।

इस विवाद के दौरान कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, जिसकी खिलाफ पूर्व सीएम कुमारस्वामी समेत अन्य नेता भी उत्कृष्ट हैं। बंद के चलते आर्थिक नुकसान का भी सामना हो रहा है, और कुछ उद्योगपतियों ने इसे करोड़ों में अनुमानित किया है।

कावेरी नदी का महत्व इसलिए है क्योंकि यह नदी कर्नाटक के पश्चिमी घाट से निकलती है और तमिलनाडु को पार करते हुए बंगाल की खाड़ी में जाती है। इस नदी का पानी दोनों राज्यों के कृषि और अन्य उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसके कारण इस पर बंटवारे का विवाद बना हुआ है।