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कावेरी जल विवाद: कर्नाटक-तमिलनाडु आपसी संघर्ष और समझौते की तलाश”

कर्नाटक में कावेरी नदी के पानी के वितरण के विवाद को लेकर आज राज्यव्यापी बंद घोषित किया गया है। यह विवाद अब 140 साल पुराना हो चुका है और इसका असर आर्थिक तौर पर भी राज्य में देखा जा रहा है।

30 से अधिक किसान संगठनों, व्यापार संगठनों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने बंद का समर्थन किया। यह बंद इसलिए आयोजित किया गया है क्योंकि हाल ही में कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (CWMA) ने तमिलनाडु को पानी देने का आदेश जारी किया था।

इसके उत्तर में, बेंगलुरु पुलिस ने 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है और उन्होंने सुरक्षा के इंतजाम भी बढ़ा दिए हैं। शहर के विभिन्न हिस्सों में पुलिस तैनाती बढ़ा दी गई है। स्कूल और कॉलेज बंद किए गए हैं, हालांकि बैंक और परिवहन सेवाएं सामान्य रूप से काम कर रही हैं।

बेंगलुरु के उद्योगपतियों का मानना है कि इस बंद के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। उनका कहना है कि प्रदर्शन से बजाय बंद, अधिक प्रभावी तरीके से विरोध किया जा सकता है।

प्रदर्शनकारियों ने कुछ मांगें रखी हैं जिसमें पानी न देने, आपातकालीन परिस्थितियों में निर्णय लेने के लिए एक नियामक संस्था की स्थापना, मेकेदातु परियोजना को लागू करने और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ चल रहे मामलों को वापस लेना शामिल है।

कर्नाटक की सरकार ने विपक्षी दलों के साथ बैठक में इस मामले पर विचार किया है और उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में समझौता होगा।

इस पूरे मामले में, जल संकट की समस्या के समाधान की तलाश में दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।