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पश्चिम विधानसभा: फर्जी मतदाताओं पर उठे संशय और राजनीतिक विवाद

विधानसभा चुनाव में पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के मतदाता सूची में संशय उत्पन्न हुआ है। कांग्रेस के नेता ने जिला निर्वाचन विभाग पर 13343 फर्जी मतदाता होने का आरोप लगाया है। आरोप है कि इन मतदाताओं की उम्र 30 से 65 साल के बीच है, जिससे संशय होता है कि 65 साल की उम्र में कैसे कोई पहली बार मतदाता बन सकता है।

2018 की मतदाता सूची में पश्चिम विधानसभा में 2 लाख 8 हजार 496 मतदाता थे, जो कि अब 2 लाख 32 हजार 987 हो गए हैं। इसमें 24491 नए मतदाता शामिल हैं। इस वृद्धि में 13343 ऐसे मतदाता हैं, जिनकी उम्र 30 से 65 साल के बीच है और जो पहली बार मतदाता बने हैं।

कांग्रेस नेता राजकुमार किराड़ू ने इसे भाजपा और आरएसएस की साजिश बताया, जबकि भाजपा ने इस पर पलटता आरोप लगाया। भाजपा का तर्क है कि उन्हें ऐसी हरकतें करने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन पर जनता का विश्वास है। भाजपा ने यह भी मांग की है कि अगर उन पर आरोप है, तो सभी शकयुक्त नामों को मतदाता सूची से हटा दिया जाए।

इस घातक विवाद में पार्टी की आंतरिक गुटबाजी का भी असर दिख रहा है। पश्चिम विधानसभा में फर्जी नाम जुड़वाने का आरोप कुछ कांग्रेसी नेताओं पर भी लगा है, जिसके चलते पार्टी में टकराव हो रहा है। यह बात भी सुनी गई है कि कांग्रेस के कुछ नेता खुद फर्जी नाम जुड़वा सकते हैं ताकि भाजपा पर आरोप लग सके।

इस समय सभी आंखें चुनाव आयोग पर हैं, जो इस मामले की जांच कर रहा है। आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा और इस मामले में सच्चाई सामने लाएगा।

यह मामला पश्चिम विधानसभा के चुनाव को प्रभावित कर सकता है, जिससे पार्टीयों के बीच तनाव और भी बढ़ सकता है। इसका प्रभाव चुनावी परिणाम पर भी पड़ सकता है।